उत्तराखण्ड में आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन: वेतन, सम्मान और सुरक्षा की मांगे तेज़

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हल्द्वानी, 20 मई 2025 । उत्तराखण्ड में आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों को लेकर बुद्ध पार्क हल्द्वानी में विशाल प्रदर्शन और रैली का आयोजन किया। ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के नेतृत्व में इस राज्यव्यापी प्रतिरोध दिवस पर किए गए प्रदर्शन में सैकड़ों आशा वर्कर्स और भोजनमाताओं ने भाग लिया। इस दौरान उन्होंने सरकार से अपनी मांगें उठाते हुए 8 सूत्रीय मांगपत्र मुख्यमंत्री को भेजा।

मांगों में मुख्य रूप से आशाओं को मासिक मानदेय नियत करने, न्यूनतम वेतन, कर्मचारी का दर्जा एवं सेवानिवृत्ति पर पेंशन का प्रावधान शामिल है। यूनियन ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने इन मांगों पर शीघ्र कार्यवाही नहीं की, तो वे 9 जुलाई को होने वाली राष्ट्रीय हड़ताल में पूर्ण ताकत से भाग लेंगी।

डॉ. कैलाश पाण्डेय ने कहा कि आशा वर्कर्स वर्षों से अत्यंत कम पारिश्रमिक, असुरक्षित कार्य परिस्थितियों और बिना सामाजिक सुरक्षा के कार्य कर रही हैं। कोविड-19 काल में इनकी सेवाओं का विशेष महत्व रहा, फिर भी सरकार का रवैया न्यायसंगत नहीं है। उन्होंने मोदी सरकार के नए श्रम कोड को महिला कामगारों के लिए गुलामी का दस्तावेज करार दिया।

रिंकी जोशी ने कहा कि आशाओं का सम्मान और वेतन न मिलने का मामला गंभीर है। आशाओं को विभाग में कोई मान्यता नहीं दी गई है और वे बिना न्यूनतम वेतन के काम कर रही हैं। पिछली बार सरकार ने आशाओं को मासिक मानदेय 11,500 रुपये देने का वादा किया था, जिसे अभी तक पूरा नहीं किया गया है।

प्रदर्शन में भोजनमाता संगठन की रजनी जोशी ने भी कहा कि आशा वर्कर्स का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है, इसलिए उन्हें स्थायी कर्मचारी घोषित कर, सेवानिवृत्ति पर पेंशन और एकमुश्त धनराशि देने की आवश्यकता है।

मांगपत्र में मुख्य रूप से शामिल हैं:

  • 2021 में खटीमा में आशा वर्कर्स के लिए हुई घोषणा अनुसार मासिक मानदेय 11,500 रुपये तुरंत लागू किया जाए।
  • आशाओं को न्यूनतम वेतन, कर्मचारी का दर्जा एवं पेंशन की व्यवस्था तुरंत की जाए।
  • रिटायरमेंट पर दस लाख रुपये की एकमुश्त राशि दी जाए जब तक पेंशन प्रावधान लागू न हो।
  • हर महीने आशाओं को उनके काम के लिए भुगतान सुनिश्चित किया जाए।
  • प्रशिक्षण के दौरान दैनिक 500 रुपये का भुगतान किया जाए।
  • अस्पतालों में आशाओं के साथ सम्मानपूर्ण व्यवहार सुनिश्चित किया जाए।
  • सभी सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों के पद भरे जाएं।
  • आशा घरों का निर्माण किया जाए।

प्रदर्शन में मुख्य वक्ताओं में डॉ. कैलाश पाण्डेय, रिंकी जोशी, रीना आर्य, प्रीति रावत, सरोज रावत, मीना मटियानी और कई अन्य आशा व भोजनमाता कार्यकर्ता शामिल थीं। समर्थन में भीम आर्मी के नफीस खान, सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत साहू भी उपस्थित रहे। आशा वर्कर्स ने अपनी मेहनत और योगदान का सम्मान पाने और बेहतर कार्य परिस्थितियों की मांग के साथ आंदोलन को तेज कर दिया है।

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