हल्द्वानी। उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन (ऐक्टू) की बैठक महिला अस्पताल परिसर में आयोजित हुई, जिसमें आगामी 20 मई को बुधपार्क हल्द्वानी में आंदोलन का कार्यक्रम तय किया गया। इस प्रदर्शन के माध्यम से आशा वर्कर्स अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त करेंगी।
बैठक में मुख्य रूप से 20 मई को न्यूनतम वेतन 35,000 रुपये करने, आशा वर्कर्स को राज्य कर्मचारी का दर्जा देने, रिटायरमेंट पर पेंशन की व्यवस्था, अस्पताल में सम्मानजनक व्यवहार, नियमित प्रशिक्षण तथा प्रति दिन न्यूनतम 500 रुपये प्रशिक्षण भत्ता, सभी बकाया राशि का भुगतान, हर माह का वेतन खाते में जमा करने जैसी प्रमुख मांगें उठाई गईं। इसके साथ ही, मुख्यमंत्री की खटीमा में आशा यूनियन से संबंधित प्रस्ताव को जल्द लागू करने की भी मांग की गई।
उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन (ऐक्टू) के प्रदेश महामंत्री डा कैलाश पाण्डेय ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार आशा वर्कर्स का आर्थिक शोषण कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार आशा वर्कर्स को न्यूनतम वेतन और कर्मचारी का दर्जा नहीं दे रही है, जिससे उनका जीवन कठिन होता जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार श्रम कानूनों में बदलाव कर श्रमिकों को कमजोर करने का प्रयास कर रही है, जबकि आशा वर्कर्स की स्थिति सबसे अधिक खराब है।
डा पाण्डेय ने कहा कि पिछले वर्षों में आशा वर्कर्स को श्रमिक का दर्जा दिलाने के लिए हुए समझौते को भी सरकार ने अमल में नहीं लाया है। उन्होंने केंद्र सरकार से नए श्रम सम्मेलन आयोजित कर आशा वर्कर्स के हक में निर्णय लेने की मांग की है।
बैठक में मौजूद रिंकी जोशी ने आशा वर्कर्स पर बढ़ रहे काम का बोझ और उनके साथ हो रहे व्यवहार का जिक्र करते हुए कहा कि आशा वर्कर्स को अधीनस्थ काम करने के बावजूद उचित वेतन और सम्मान नहीं मिल रहा है। वहीं, रीना आर्य ने कहा कि सरकार आशा वर्कर्स का मेहनत का शोषण कर रही है और समय पर वेतन भी नहीं दिया जाता।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में आशा वर्कर्स, यूनियन पदाधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे। वे अपने हक के लिए आवाज बुलंद करने और सरकार से ठोस कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।