व्हाइटहॉल विद्यालय में मनाया गया ‘विश्व गौरैया दिवस’

खबर शेयर करें -

व्हाइटहॉल विद्यालय परिसर में आज ‘विश्व गौरैया दिवस’ मनाया गया, जो गौरैया पक्षी के संरक्षण और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया। गौरैया की घटती आबादी को ध्यान में रखते हुए, यह दिवस पहली बार 2010 में फ्रांस में इको-सिस एक्शन फाउंडेशन के सहयोग से मनाया गया था, जिसकी नींव भारतीय संरक्षणवादी डॉ. मोहम्मद दिलावर ने 2009 में रखा था। तब से हर साल 20 मार्च को इस दिन को मनाया जा रहा है।

वर्तमान में, भारत सहित कई देशों में गौरैया की संख्या तेजी से घट रही है, जिसके प्रमुख कारण हैं बढ़ता शहरीकरण, मोबाइल टावरों से निकलने वाला रेडिएशन, कीटनाशकों और जहरीले रसायनों का प्रयोग, कंक्रीट के जंगल और प्रदूषण।

विद्यालय में गौरैया के संरक्षण के लिए हर वर्ष कई महत्वपूर्ण प्रयास किए जाते हैं, जिनका सकारात्मक प्रभाव विद्यालय परिसर और उसके आसपास के वातावरण में देखा गया है। इस वर्ष, विद्यालय प्रबंधन, जिसमें श्री अनंत एरिक्सन, श्रीमती मिताली एरिक्सन और प्रधानाचार्या सुश्री नीना मनराल शामिल हैं, ने विद्यार्थियों और एनसीसी के छात्रों के साथ मिलकर इस प्रजाति के संरक्षण के लिए कई पहल की। इनमें पक्षियों के लिए लकड़ी से निर्मित घरों का निर्माण, दाना-पानी की उचित व्यवस्था, और भावी पीढ़ी को जागरूक करना शामिल है।

विशेषज्ञों का मानना है कि पक्षियों की सुरक्षा केवल उनके अस्तित्व के लिए जरूरी नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है।

विद्यालय ने सभी से अपील की है कि वे पक्षियों के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा दें, प्रकृति के साथ जुड़ने का समय निकालें और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनकर विलुप्त होती पक्षियों की प्रजातियों के संरक्षण में अपना योगदान दें।

Breaking News