उत्तराखंड में बारिश के तेवर फिलहाल हल्के पड़े हैं। लेकिन मौसम विज्ञान केंद्र ने आज नैनीताल, चंपावत, बागेश्वर और पिथौरागढ़ जनपद में कहीं-कहीं भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। अन्य जिलों में भी बारिश के तीव्र दौर हो सकते हैं। उत्तराखंड में बारिश से जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया है। बारिश के चलते सड़के बहुत ज्यादा क्षतिग्रस्त हुई है। मुख्यमंत्री ने मानसून सीजन के बाद विशेष अभियान चलाकर सड़कों को गड्ढा मुक्त बनाने की निर्देश दिए हैं।
सीएम धामी ने खुद विभिन्न जनपदों का भ्रमण कर सड़कों का जायजा लेने की बात कही है। इस मानसून सीजन में प्रदेश की सड़कों को बड़ा नुकसान पहुंचा है। लगभग 2000 करोड़ से अधिक की क्षति सड़कों पर हो रही है। आपदा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में लोक निर्माण विभाग की ढाई हजार से अधिक सड़क क्षतिग्रस्त हुई है, जबकि 6 नेशनल हाईवे भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। भारी बारिश के चलते उत्तराखंड में 373 सड़कें बंद हैं।
गंगोत्री और बद्रीनाथ में बर्फबारी
इनमें 9 नेशनल हाईवे, लोक निर्माण विभाग के 86 मार्ग और 249 ग्रामीण मार्ग शामिल है। वहीं पौड़ी में 67, टिहरी में 34, चमोली में 59, हरिद्वार में 9, रुद्रप्रयाग में 51, उत्तरकाशी में 63, पिछोरगढ़ में 48, बागेश्वर में 15, नैनीताल में 28 और उधम सिंह नगर में दो सड़के बंद हैं। वहीं उत्तराखंड में लगातार बारिश के चलते गंगोत्री और बद्रीनाथ सहित ऊंची चोटियों पर हिमपात शुरू हो गया है। दक्षिण पश्चिम मानसून के बीच पश्चिम विक्षोभ के व्यापक प्रभाव के कारण पहाड़ों में तापमान में कमी आने से सितंबर की शुरुआत में ही बर्फबारी हो गई है।
सितंबर में बारिश का सिलसिला जारी
हालांकि आमतौर पर अक्टूबर मध्य तक ही बर्फबारी होती है। इस बार अगस्त महीने में बादल सामान्य से डेढ़ गुना ज्यादा बरसे हैं और सितंबर महीने में भी बारिश का सिलसिला जा रही है। मौसम वैज्ञानिक रोहित थपलियाल के अनुसार 6000 मीटर की ऊंचाई पर वर्ष भर हिमपात होता रहता है। हिमालय क्षेत्र में तापमान शून्य या उससे कम होने के कारण बर्फबारी के अनुकूल परिस्थितियों रहती हैं। दो दिनों में 5000 की मीटर की ऊंचाई पर बर्फबारी मानसून में पश्चिम विक्षोभ के अति सक्रिय होने का परिणाम है।