कुमाऊं महोत्सव का तृतीय दिवस: विविधता और संस्कृति का संगम

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हल्द्वानी। आज कुमाऊं महोत्सव के तीसरे दिन की संध्या रोचक और उद्देश्यपूर्ण रही। इस अवसर पर कुमाऊनी उत्तराखंडी व्यंजन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर आने वाले विजेताओं का सम्मान किया गया। इस प्रतियोगिता के प्रायोजक हिमाल कैसेट के चंदन सिंह भैसोड़ा रहे।

संध्याकालीन सत्र के दूसरे चरण में उत्तराखंडी लोक नृत्य का प्रदर्शन हुआ। पिथौरागढ़ का प्रसिद्ध छोलिया दल दीप प्रज्वलित करने के बाद वंदना के साथ कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। उत्तराखंड के प्रख्यात लोक गायक राकेश खनवाल ने “जय जय हो बद्रीनाथ” के साथ अपनी प्रस्तुति शुरू की, जिससे दर्शक उनकी अदायगी के प्रति भूखे हो गए। उन्होंने “चौखुटिया मासी बाजार”, “अंग्रेजी मैडम”, और “हिमुली पहाड़ों की लाली” जैसे लोकप्रिय गीत गाकर जादू बिखेरा।

इसके अलावा, राकेश पनेरु ने “पतलोट की सुनीता” और “भौजी रंगीली” जैसे गीतों से दर्शकों की तालियाँ बटोरीं। मेघना चंद्रा ने “पारा गौ की घसियारी” और “कोसी गाड़ा धाना” गाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, जबकि यश भंडारी ने “जालिमा” जैसे झोड़े प्रस्तुत किए। डांसर अंकित ने “गुलाबी शरारा” और “पतलोट की सुनीता” गीतों पर शानदार नृत्य प्रस्तुत किया।

संध्या में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों में दर्शकों ने जमकर खरीददारी की। मेले में चारों ओर विभिन्न उद्योगों के उत्पाद, स्वयं सहायता समूह की निर्मित सामग्री और सरकारी विभागों के प्रदर्शनों ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया।

आयोजन संयोजक गोविंद दिगारी और खुशी जोशी दिगारी ने भारी संख्या में उपस्थित दर्शकों का धन्यवाद किया। उन्होंने कलाकारों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि दर्शकों ने संस्कृति संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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