ऐपण कला से लखपति बनी रानीबाग की प्रियंका, सरकारी योजनाओं का लाभ बना सहारा

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हल्द्वानी। उत्तराखंड सरकार की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की पहल रंग ला रही है। इसी क्रम में हल्द्वानी के समीप ग्राम पंचायत रानीबाग की प्रियंका गोस्वामी ने स्वयं सहायता समूह से जुड़कर और अपनी ऐपण कला के माध्यम से आत्मनिर्भरता की मिसाल कायम की है। आज प्रियंका ‘लखपति दीदी’ के रूप में पहचानी जाती हैं, जिनकी वार्षिक आय 2 लाख रुपए तक पहुँच गई है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अभिनव पहल के तहत स्वयं सहायता समूहों को आत्मनिर्भर और लखपति दीदी योजना से जोड़ा जा रहा है। नैनीताल जिले में एनआरएलएम के अंतर्गत महिलाओं को विभिन्न विभागों की स्वरोजगार परक योजनाओं से जोड़कर सशक्त बनाया जा रहा है। जिले में किए गए सर्वे के अनुसार, लगभग 13300 महिलाएं ‘लखपति दीदी’ हैं, जिनकी वार्षिक आय 1 लाख रुपए से अधिक है।

प्रियंका गोस्वामी ने ‘मां गौरा आजीविका समूह’ से जुड़कर अपने बचपन के शौक, ऐपण कला को आय का स्रोत बनाया। उन्होंने बताया कि शुरुआत में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन कुछ नया करने की सोच और दृढ़ मनोबल ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। समूह से छोटे-छोटे ऋण लेकर उन्होंने ऐपण और मोमबत्ती बनाने का कार्य शुरू किया। धीरे-धीरे उनकी आय में वृद्धि हुई।

समूह द्वारा सरस मेलों और अन्य कार्यक्रमों में स्टॉल लगाकर उनके ऐपण आर्ट को बेचा जाता है, जिससे उनकी कला को व्यापक पहचान मिली है। प्रियंका बताती हैं कि उनकी वार्षिक आय लगभग 2 लाख रुपए है। लखपति बनने पर उन्होंने सरकार का आभार व्यक्त किया और कहा कि सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर कोई भी आत्मनिर्भर बन सकता है।

प्रियंका केवल स्वयं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वह युवा पीढ़ी को भी इस पारंपरिक कला से जोड़ रही हैं। वह स्कूली बच्चों को ऐपण कला का प्रशिक्षण दे रही हैं, जिससे यह कला जीवित रहे और नई पीढ़ी भी इससे जुड़ सके।

प्रियंका गोस्वामी की कहानी इस बात का प्रमाण है कि सरकारी योजनाओं का सही ढंग से उपयोग करके और अपनी कला व कौशल का सदुपयोग करके महिलाएं न केवल आत्मनिर्भर बन सकती हैं, बल्कि आर्थिक रूप से सशक्त होकर समाज में महत्वपूर्ण योगदान भी दे सकती हैं।

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