हल्द्वानी। गुरुवार को भी राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी एवं डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय के उपनल कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर जारी अपने कार्य बहिष्कार को चौथे दिन भी जारी रखा है। कर्मचारियों का कहना है कि यदि शासन प्रशासन ने उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया और उनकी मांगों की अनदेखी की गई, तो वे अनिश्चितकालीन धरने पर जाने को मजबूर हो सकते हैं।
कर्मचारियों ने यह भी आरोप लगाया कि उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बावजूद कि उपनल कर्मचारियों को छह माह के भीतर समान कार्य का समान वेतन और एक वर्ष के भीतर नियमित करने का निर्देश है, इसकी अवहेलना की जा रही है। उनके अनुसार, चार माह से अल्प वेतनभोगी कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय हो चुकी है। बाहर से आकर किराए पर रह रहे कर्मचारियों को मकान मालिकों से घर खाली करने की धमकियां मिल रही हैं, और बच्चों की स्कूल फीस न जमा कर पाने के कारण विद्यालय प्रशासन द्वारा भविष्य में नाम काटने की चेतावनी दी जा रही है।
इन विषम परिस्थितियों में कर्मचारियों को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। शासन और प्रशासन पर आरोप है कि वे कर्मचारियों का शोषण कर रहे हैं। यदि अभी भी उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। इन परिस्थितियों के चलते अस्पताल की व्यवस्थाएं चरमरा रही हैं, और यदि स्थिति नहीं सुधरी तो अस्पताल बंद होने की कगार पर आ जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन, चिकित्सा शिक्षा विभाग, सरकार और संबंधित मंत्रियों पर होगी।
कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने कोविड काल में फ्रंट लाइन पर रहते हुए अपने परिवार की चिंता न करते हुए ईमानदारी से कार्य किया। आज 4 बजे सभी कर्मचारियों ने प्राचार्य और वित्त नियंत्रक से वार्ता की, जिसमें उन्हें बताया गया कि पदों की स्वीकृति का प्रस्ताव फिर से शासन को भेजा जा रहा है, जिससे उम्मीद है कि शीघ्र ही पद स्वीकृत हो सकते हैं।
इस दौरान, कर्मचारियों में प्रमुख नेताओं में पूरन भट्ट, भानु कैड़ा, मनमोहन पाटनी, शम्भू दत्त बुधानी, चंदू कफलटिया, सुंदर चौहान, तेजा बिष्ट, मनीष तिवारी, विनोद बिष्ट, खेमराज साहू, दिनेश जोशी, तस्लीम अहमद, कैलाश जोशी, दानिश, दीपा शर्मा, मोहनी पाठक, ममता पांडे, गुंजन किरौला, प्रभा गोश्वामी, रेखा सनवाल, सुशील कुमार, राकेश, चंचल, राजेश्वरी डालाकोटी, दीपिका नेगी, कविता मनराल आदि शामिल रहे।
