हल्द्वानी। परिवर्तनकामी छात्र संगठन (पछास) ने उत्तराखंड में कक्षा 1 से 12 तक सरकारी विद्यालयों के क्लस्टर/मर्जर की प्रक्रिया के विरोध में प्रदर्शन किया और एसडीएम हल्द्वानी के माध्यम से प्रधानमंत्री भारत सरकार को ज्ञापन सौंपा है।
कार्यक्रम के दौरान संगठन के सदस्यों ने कहा कि उत्तराखंड में प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और इंटरमीडिएट विद्यालयों को मर्ज कर क्लस्टर स्कूल बनाने की योजना चर्चा में है, जिसके चलते हजारों विद्यालय बंद होने की आशंका है। संगठन का तर्क है कि इस प्रक्रिया से छात्रों को बेहतर संसाधन और शिक्षा मिल पाने की संभावना कम हो जाएगी।
संगठन ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत यह कदम उठा रही है, जो शिक्षा का मौलिक अधिकार और बुनियादी सामाजिक जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ने के समान है।
विद्यार्थियों का कहना है कि विशेषकर पहाड़ी इलाकों और दूर-दराज के गांवों में यदि विद्यालय बंद किए गए, तो छात्रों को पास के दूसरे विद्यालयों तक पहुंचने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। इससे गरीब और वंचित वर्ग के छात्र, विशेषकर छात्राएं, सबसे अधिक प्रभावित होंगी। इसके अलावा, विद्यालय बंद होने से लाखों स्थाई रोजगार, भोजनमाताओं जैसे कर्मचारियों का रोजगार भी प्रभावित होगा।
संगठन ने यह भी कहा कि प्राथमिक व इंटरमीडिएट विद्यालयों का मर्जर शिक्षा अधिनियम, 2009 का उल्लंघन है, जिसमें स्पष्ट प्रावधान है कि 1 किमी के दायरे में न्यूनतम 300 आबादी वाले प्राथमिक विद्यालय स्थापित किए जाने चाहिए। यह कदम संविधान के अनुच्छेद 21-A और नीति निदेशक तत्व के अनुच्छेद 46 का भी उल्लंघन है।
ज्ञापन में संगठन ने अपनी मुख्य मांगे निम्न हैं
- विद्यालयों के मर्जर के नाम पर उन्हें बंद करने पर रोक लगाई जाए।
- छात्र विरोधी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को वापस लिया जाए।
- सभी नागरिकों के लिए निःशुल्क और वैज्ञानिक, तार्किक शिक्षा का प्रावधान किया जाए।
ज्ञापन की प्रतिलिपि माननीय मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री और स्कूली शिक्षा निदेशक को भी भेजी गई है।
कार्यक्रम में पछास से महेश, चंदन, हेमा पाण्डेय, उमेश पाण्डे, अनिशेख चन्द्र, विपिन, सामाजिक कार्यकर्ता दीप चन्द्र पाण्डेय और क्रालोस से मुकेश भंडारी सहित अनेक लोग उपस्थित थे।