सैफ अली सिद्दीकी
राज्य परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा उत्तराखंड के एक आदेश से सभी का वेतन रोके जाने को लेकर शिक्षकों में भारी आक्रोश है। विगत में जारी एक आदेश के अनुसार समग्र शिक्षा के अंतर्गत उपलब्ध कराई गई धनराशि का व्यय नहीं होने के कारण प्रदेश के शिक्षा विभाग में कार्यरत समस्त अधिकारी शिक्षकों एवं कार्मिकों का वेतन आहरित न किए जाने के निर्देश दिए गए थे।
इधर इस विषय को लेकर अब प्राथमिक शिक्षक संघ भी मुखर हो चला है संगठन का कहना है की पहले तो वेतन रोकने की कार्रवाई होनी ही नहीं चाहिए। और यदि अपरिहार्य स्थितियों में वेतन रोका भी जाना है तो पहले संबंधित का स्पष्टीकरण लेकर उसका पक्ष जाना जानना चाहिए। उसके पश्चात ही दंडात्मक कार्रवाई की जानी न्याय संगत होगी।
यहां पर यह तथ्य भी उल्लेखनीय है। समग्र शिक्षा के अंतर्गत निर्गत धनराशि का व्यय नहीं किए जाने के कारण वेतन रोकने की कार्रवाई अमल में लाई गई। परंतु इस प्रश्न का उत्तर किसी के पास भी नहीं है कि जिन शिक्षकों और अधिकारियों या कार्मिकों का आहरण वितरण से सीधा कोई संबंध नहीं है तो उनका वेतन क्यों रोका गया।
उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ नैनीताल के जिला अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा की वेतन भोगी कर्मचारी का पूरा परिवार मासिक वेतन पर ही निर्भर होता है उनके बच्चों की फीस, मकान का किराया, दवाई का खर्च, दैनिक गृहस्ती एवं जीवन यापन का खर्च बैंक ऋण मासिक किस्त आदि इसी वेतन पर निर्भर होता है। और यदि अचानक से बिना किसी कारण के वेतन रोक दिया जाए तो उसे शिक्षक की मानसिक और आर्थिक स्थिति का सहज ही अंदाज लगाया जा सकता है।
तिवारी द्वारा राज्य परियोजना निदेशक एवं महानिदेशक विद्यालय शिक्षा को पत्र भेज कर शीघ्र वेतन आहरित किए जाने का अनुरोध किया है।