उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी के बनभूलपुरा कांड के आरोपी अब्दुल मलिक की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद एकलपीठ ने राजकीय भूमि को खुर्दबुर्द करने के मामले में उन्हें जमानत दे दी है। न्यायमूर्ती रविन्द्र मैठाणी की एकलपीठ ने दंगा फैलाने के मामले में उनकी जमानत नही हुई।
मामले के अनुसार मलिक के खिलाफ वनभूलपुरा दंगे के समय चार मुकदमे दर्ज हुए थे, जिसमें एक मामला ये भी था कि मलिक ने कूटरचित, झूठे सपथपत्र के आधार पर राजकीय भूमि को हड़पने का काम किया। यही नहीं उनके द्वारा नजूल भूमि पर कब्जा करके प्लॉटिंग, अवैध निर्माण करके उसे बेचा गया। राज्य सरकार की तरफ से उनकी जमानत प्रार्थनपत्र का विरोध करते हुए कहा कि बनभूलपुरा कांड की शुरुआत यही से हुई थी।
जब प्रसाशन इस अवैध अतिक्रमण को हटाने गया तो उनके ऊपर पथराव किया गया। बाद में इसने दंगा का रूप ले लिया। इसी दंगे में सरकारी, पुलिस व अन्य लोग घायल हो गए कईयों की जान तक चली गयी। दंगे से सम्बन्धीत मामलों में इनकी जमानत नही हुई है। इसलिए इनकी जमानत निरस्त किया जाय। वही याचिकाकर्ता का कहना था कि इस मुकदमे का सम्बन्ध दंगे से नही है। इसलिए उन्हें जमानत दी जाय।