उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने रेलवे ट्रैक पर हाथी की मौत के मामले में रेलवे के लोकोपायलट और उसके सहायक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई पर रोक लगा दी है।
न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की पीठ ने सरकार से 4 हफ्ते में जवाब देने को कहा है। मामले के अनुसार 27 मई 2018 को लालकुआं से पंतनगर की ओर जा रही रेलगाड़ी के इंजन से टकराकर एक मादा हाथी की मौत हो गयी थी। केन्द्रीय तराई वन प्रभाग के गंगापुर के पास हुई घटना में हाथी की मौके पर ही मौत हो गयी थी।
हाथी का शव रेल इंजन के साथ घिसटकर 36 मीटर दूर तक रगड़ता चला गया। फारेस्ट गार्ड हरीश बिष्ट की ओर से हाथी की मौत की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी गयी।
उप प्रभागीय वनाधिकारी उमेश चंद्र तिवारी (किच्छा) को प्रकरण की जांच सौंपी गयी। जिसमें उन्होंने बीती 22 फरवरी को लोको पायलट और उसके सहायक के खिलाफ भारतीय वन संरक्षण अधिनियम के तहत अभियोग दर्ज किया। लोको पायलट राजेश कुमार की ओर से वन विभाग के इस कदम को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी।
पीठ ने दोनों के खिलाफ कार्रवाई पर अग्रिम सुनवाई तक रोक लगा दी है। साथ ही सरकार से जवाब देने को कहा है।