हल्द्वानी । देहरादून भू-कानून अभियान ने भू-क़ानून विषय पर हाल में भराड़ीसैण में हुई महाचर्चा के सकारात्मक परिणामों के लिए उत्तराखंड सरकार और मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी को धन्यवाद दिया है। आज सचिवालय में भू-कानून अभियान के सदस्यों ने मुख्य सचिव से करीब 30 मिनट तक विस्तृत चर्चा की।
इस दौरान 2007 में पारित अध्यादेश के अंतर्गत 250 वर्ग मीटर भूमि के प्रावधानों की खामियों पर चर्चा की गई। अभियान के सदस्यों ने बताया कि एक ही परिवार द्वारा 1250 वर्ग मीटर भूमि खरीदने के मामलों में कानून का दुरुपयोग हो रहा है। इसके अलावा, बाहरी कंपनियाँ जिन उद्देश्यों के लिए भूमि ले रही हैं, वे उन पर अमल नहीं कर रही हैं और उन्हें प्लॉटिंग कर बेच रही हैं।
कंपनियों के द्वारा भूमि के अधिग्रहण के मामलों में चर्चा करते हुए बताया गया कि उन्होंने 6 बीघा की जगह 600 बीघा भूमि खरीदकर उसे बैंकों में गिरवी रखकर ऋण लिया है, जिसे बाद में अन्य राज्यों के लोगों को बेचा जा रहा है। वर्ष 2018 के अधिनियम को समाप्त करने के लिए भी गहन चर्चाएँ की गईं।
नगर निगम की सीमाओं के भीतर भूमि बिक्री पर सख्त प्रतिबंध लगाने के लिए नए नियम विकसित करने पर भी गंभीर चर्चा हुई, क्योंकि भूमि कानून बनाने का अधिकार केवल राज्य का होता है। भू-कानून अभियान ने सरकार को सुझाव दिया कि नगर निगम और नगर पंचायतों की भूमि को बिक्री से रोकने के लिए नए कानूनों की आवश्यकता है।
भू-कानून अभियान ने पिछले कई वर्षों से इस मुद्दे पर विभिन्न साक्ष्यों के साथ विमर्श किया है। अभियान ने 2500 किलोमीटर की यात्रा की और राज्य के सभी देवी-देवताओं के चरणों में भू-क़ानून की अर्जियां अर्पित कीं। इसके साथ ही 84 दिनों का अनशन एवं विभिन्न रैलियों का आयोजन भी किया गया है।
भू-कानून अभियान के संस्थापक/मुख्य संयोजक शंकर सागर ने मुख्य सचिव के साथ हुई चर्चा में धामी सरकार का आभार व्यक्त किया और सकारात्मक कार्रवाई की उम्मीद जताई। इस बैठक में आनंद सिंह रावत, अशोक नेगी और शंकर कांडपाल भी उपस्थित थे।