हल्द्वानी। भीम आर्मी के जिलाध्यक्ष नफीस अहमद खान ने हल्द्वानी महापौर की सीट को अनारक्षित करने के खिलाफ एक प्रेस नोट जारी कर रोष व्यक्त किया है। उनका कहना है कि पिछले 56 वर्षों में पहली बार हल्द्वानी महापौर की सीट को पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित किया गया था, लेकिन अब उसे अनारक्षित कर दिया गया है, जो कि एससी, एसटी और ओबीसी समुदाय के खिलाफ भाजपा की मानसिकता को दर्शाता है।
नफीस ने कहा कि भाजपा के इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि अमित शाह द्वारा बाबा साहेब के प्रति किया गया अपमान कोई संयोग नहीं था, बल्कि यह एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा है। दलित समाज ने हल्द्वानी सीट को आरक्षित करने की मांग बार-बार उठाई थी, क्योंकि पिछले 56 वर्षों से यह सीट ज्यादातर पुरुषों के लिए अनारक्षित बनी रही है, और महिलाओं की भागीदारी भी न्यूनतम रही है।
उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस या भाजपा, दोनों ही दलों ने दलित समाज को आरक्षण का लाभ नहीं दिया। वर्तमान में उत्तराखंड की सत्ता में बैठी सरकार भी दलित विरोधी है। नफीस ने यह भी आरोप लगाया कि ओबीसी को आरक्षित करने के बाद कांग्रेसी नेता को चुनाव लड़ाने का झांसा देकर सदस्यता दिलवाई गई, लेकिन पार्टी के बड़े नेताओं के विरोध के कारण यह सीट फिर से अनारक्षित कर दी गई।
उन्होंने अंत में कहा कि दलित समाज पहले से ही भाजपा से दूर हो रहा था, और इस निर्णय ने उनकी नाराजगी को और बढ़ा दिया है। उन्होंने भाजपा को चेतावनी दी कि यह फैसला उनके लिए आत्मघाती साबित होगा।