उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस: आंदोलनकारियों की निराशा और अपेक्षाएं

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हल्द्वानी। उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर नैनीताल लाइव ने पर पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच के पदाधिकारी जो राज्य आंदोलन में शामिल रहे, उनके साथ एक विशेष बातचीत की। इस चर्चा में उपस्थित आंदोलनकारियों ने राज्य की स्थापना को 24 वर्ष बीत जाने के बाद भी अपनी निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जिस उद्देश्य के लिए राज्य का गठन किया गया था, वह आज तक धरातल पर पूरा नहीं हो सका है।

आंदोलनकारियों ने अपनी बात रखते हुए कहा कि राज्य की स्थापना के पीछे जनता की मूल आवश्यकताओं को पूरा करने का एक बड़ा उद्देश्य था, लेकिन कई महत्वपूर्ण मुद्दे अभी भी जस के तस बने हुए हैं। उन्होंने स्थानीय लोगों को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता देने की वकालत की, ताकि क्षेत्र के युवा बेरोजगारी की समस्या से निजात पा सकें।

इसके अलावा, उन्होंने पहाड़ी क्षेत्रों से लोगों के पलायन को रोकने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “अगर हमें अपने युवाओं को अपने ही प्रदेश में रोकना है, तो हमें यहाँ रोजगार के अवसर पैदा करने होंगे।”

आंदोलनकारियों ने क्षेत्र के विकास की भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में विकास की गति बहुत धीमी है। जब तक क्षेत्र में स्थानीय स्तर पर विकास नहीं होगा, तब तक लोगों का पलायन जारी रहेगा।

इसके साथ ही, जमीन पर मालिकाना हक और स्वास्थ्य एवं शिक्षा की बेहतर व्यवस्था की भी जरूरत को उन्होंने प्रमुखता से उठाया। चर्चा में शामिल सभी नेताओं ने स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति और शिक्षा के स्तर को सुधारने की जरूरत पर जोर दिया।

उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड के लिए एक समृद्ध भविष्य बनाने के लिए सरकार को स्थानीय मुद्दों पर गंभीरता से ध्यान देना होगा और आंदोलनकारियों के दिए गए सुझावों पर काम करना होगा। अंत में, उन्होंने राज्य के विकास में सहायक बनने के लिए सरकार से सक्रिय कदम उठाने की अपील की।

उत्तराखंड की स्थापना दिवस पर आंदोलनकारियों का यह संदेश स्पष्ट है—स्थानीय लोगों की प्राथमिकताएं पूरी करने और क्षेत्र की वास्तविक आवश्यकताओं को समझने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

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