हल्द्वानी । भाकपा माले ने मोदी सरकार द्वारा चुनाव संचालन नियमों में किए गए हालिया संशोधन की कड़ी आलोचना की है, जिसे पार्टी ने चुनावी पारदर्शिता को दबाने के एक सुनियोजित प्रयास के रूप में देखा है। पार्टी का कहना है कि इस संशोधन ने जनता की चुनाव-संबंधी महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों तक पहुँच को सीमित कर दिया है।
भाकपा माले के नैनीताल जिला सचिव डा. कैलाश पाण्डेय ने आज एक प्रेस बयान में कहा, “यह कदम तब उठाया गया है जब पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को आदेश दिया था कि वह हरियाणा विधानसभा चुनावों में एक मतदान केंद्र पर डाले गए वोटों से संबंधित वीडियोग्राफी एवं दस्तावेज़ों की प्रतियां उपलब्ध कराए।” उन्होंने भीड़तंत्र और जवाबदेही के सिद्धांतों पर इस संशोधन को एक हमला बताया, जो सत्तारूढ़ सरकार के लोकतांत्रिक संस्थानों को कमजोर करने के इरादे को दर्शाता है।
लंविंग किया किसानों के मामला, उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की यह कार्रवाई संवाद की पारदर्शिता को कमजोर करने का प्रयास है, जबकि पूरे देश में चुनावी प्रक्रिया और ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ (ओएनओई) के सवाल उठ रहे हैं।
भाकपा माले ने इस संशोधन को पूर्ववर्ती इलेक्टोरल बॉন্ড योजना से जोड़ते हुए कहा कि यह योजना भी राजनीतिक फंडिंग को गुमनाम और अपारदर्शी बनाने का काम कर रही थी। इससे न केवल चुनावों को प्रभावित करने के लिए गैर-जवाबदेह धन के रास्ते खुले, बल्कि यह सत्तारूढ़ दल के पक्ष में भी गया।
पार्टी ने चुनाव आयोग से यह मांग की कि वह चुनावी प्रक्रिया में जनता के विश्वास और पारदर्शिता को सुनिश्चित करने की अपनी जिम्मेदारी निभाए। उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग को ऐसे प्रतिगामी बदलावों को सक्षम बनाने के बजाय जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय कदम उठाने चाहिए।”
भाकपा माले ने तत्काल इस अलोकतांत्रिक संशोधन को रद्द करने की मांग करते हुए सभी लोकतांत्रिक शक्तियों से अपील की है कि वे पारदर्शिता, जवाबदेही और चुनावी प्रक्रिया की स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा के लिए एकजुट हों।