हल्द्वानी। आज 31 जुलाई उधम सिंह की 83 वीं शहादत दिवस पर एमबीपीजी कॉलेज हल्द्वानी में उधम सिंह के छाया चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि दी गयी।
13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग नरसंहार में माइकेल ओ’ डवायर के नेतृत्व में ब्रिटिश साम्राज्यवादियों द्वारा हिंदुस्तान की आजादी के आंदोलनकारियों, क्रांतिकारियों के दमन के लिए बनाए गए ‘रौलट एक्ट’ के विरोध में सभा कर रहे निहत्थे हजारों लोगों पर गोली चलाने का आदेश दिया। जिसमें सैकड़ों लोग मौत के घाट उतार दिये गये।
शहीद उधम सिंह 20 साल की उम्र में इसी सभा में मौजूद थे। उन्होंने यहीं से माइकेल ओ’ डवायर से इस नरसंहार का बदला लेने की ठान ली थी। 13 मार्च 1940 को ओ’ डवायर की हत्या उधम सिंह ने ब्रिटेन में जाकर ही कर दी थी। और हजारों निहत्थे भारतीयों की मौत का बदला लिया। 31 जुलाई 1940 को उन्हें ब्रिटिश साम्राज्यवादियों ने फांसी दे दी।
उधम सिंह की शहादत के इतने वर्षों बाद भी आज शोषण-उत्पीड़न बदस्तूर जारी है। समाज में छात्रों-नौजवानों की शिक्षा-रोजगार की समस्या गहराती जा रही हैं। शिक्षा की मद में कटौती ने शिक्षा की गुणवत्ता को गिराने का काम किया है। पेपर लीक और बढ़ती बेरोजगारी ने छात्रों को उद्वेलित किया है। मजदूरों-मेहनतकशों, महिलाओं के ऊपर सरकारों और पूंजीवादी व्यवस्था के हमले जारी हैं। हमें इसके विरोध में उधम सिंह के विचारों से प्रेरणा लेकर खिलाफत करने की जरूरत है।
उधम सिंह सांप्रदायिकता के विरोधी थे। इसीलिए अंग्रेज जज के पूछने पर उधम सिंह ने अपना नाम ‘राम मोहम्मद सिंह आजाद’ बताया। जाति-धर्म के नाम पर जनता को बांटने वाली राजनीति के खिलाफ कौमी एकता की पहचान मजबूत की जा सके। आज उधम सिंह के विचारों पर चलते हुए हमें समाज को बांटने वाली ताकतों के खिलाफ संघर्ष करने की जरूरत है। यही उधम सिंह को छात्रों-नौजवानों की सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
कार्यक्रम में परिवर्तनकामी छात्र संगठन (पछास) से महेश चन्द्र, चंदन, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र से रजनी और जनवादी लोकमंच से मनोज, हेम जोशी सहित कई छात्र-छात्राएं श्रद्धांजलि में शामिल रहे।