भारत में हर साल 14 नवम्बर को बाल दिवस मनाया जाता है। यह दिन बच्चों के अधिकारों और उनके समग्र विकास के महत्व को याद करने का अवसर होता है। इस दिन को हम पंडित नेहरू की जयंती के रूप में भी मनाते हैं, जो बच्चों के प्रति अपनी विशेष स्नेहभावना और समर्पण के लिए प्रसिद्ध थे। बाल दिवस के इस खास मौके पर हम उत्तराखंड की एक ऐसी बाल प्रतिभा के बारे में बात करेंगे, जिसने अपनी शतरंज की क्षमता से सभी को हैरान कर दिया है—7 वर्षीय तेजस तिवारी।
तेजस तिवारी: एक चमत्कारी शतरंज खिलाड़ी
तेजस तिवारी, जो केवल 7 साल के हैं, शतरंज की दुनिया में एक चमकते सितारे की तरह उभरे हैं। उनकी कहानी प्रेरणादायक है, और यह दर्शाती है कि अगर किसी बच्चे को सही दिशा और अवसर मिलें तो वह अपनी उम्र से कहीं आगे जाकर शानदार उपलब्धियाँ हासिल कर सकता है।
शतरंज के प्रति रुचि का आरंभ
तेजस की शतरंज में रुचि बहुत जल्दी विकसित हुई। कोरोना काल के समय जब वह केवल साढ़े 3 साल के थे तब उनके पिता शरद तिवारी ने उन्हें शतरंज खेलना । पहले-पहल यह एक सामान्य खेल जैसा लग सकता था, लेकिन तेजस की नजरें और उनका ध्यान खेल की हर बारीकी में थे। उनके खेल को देखकर उनके माता-पिता ने उन्हें शतरंज की ओर प्रोत्साहित करना शुरू किया।
धीरे-धीरे, तेजस ने शतरंज की बुनियादी बातें सीखी और खेल में अपनी पकड़ मजबूत की।
उनकी मेधा इतनी तेज़ थी कि बहुत कम समय में उन्होंने कई माइलस्टोन पार किए। तेजस ने सिर्फ अपनी उम्र के बच्चों से ही नहीं, बल्कि बड़े और अनुभवी खिलाड़ियों से भी मुकाबला किया और उन्हें हराया।
रिकॉर्ड और उपलब्धियाँ
तेजस ने साढ़े पांच वर्ष की आयु में फिडे रेटिंग हासिल कर जुलाई 2023 में विश्व के सबसे कम उम्र के फिडे रेटेड शतरंज खिलाड़ी होने का विश्व रिकार्ड बनाया ।
सितम्बर 2024 में मैसूर ( कर्नाटक ) में आयोजित नेशनल अंडर 7 शतरंज प्रतियोगिता में तेजस ने देश भर के बच्चों के बीच 9 मे से 7 जीत और एक ड्रॉ से 7.5 अंक बनाकर पांचवा स्थान हासिल किया । राष्ट्रीय शतरंज प्रतियोगिता के आयु आधारित टूर्नामेंट में यह किसी भी उत्तराखंड के शतरंज खिलाड़ियों में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है ।
महज 4 वर्ष की उम्र में अपना पहला फिडे रेटिंग टूर्नामेंट खेलने वाले तेजस तिवारी ने इतनी कम उम्र में ही भारत के 15 राज्यों में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रमुख टूर्नामेंटों में कई सफलताएँ हासिल की हैं।
उनकी इस विलक्षण प्रतिभा का सम्मान राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी अगस्त 2023 में देहरादून में तेजस को सम्मानित कर में करा है
तेजस ने 2022 में उत्तराखंड स्टेट अंडर 8 , 2023 में उत्तराखंड स्टेट अंडर 9 शतरंज प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हासिल किया है
दीक्षांत इंटरनेशनल स्कूल हल्द्वानी में कक्षा 1 में पड़ने वाले छात्र तेजस ने स्कूल की टीम से सहारनपुर ( उत्तर प्रदेश ) में आयोजित सीबीएसई जोनल प्रतियोगिता के अंडर 19 वर्ग में भाग लेकर 7 में से 6 मैच जीतकर स्कूल को जोनल चैम्पियन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
अपने खेल से वह केवल अपने परिवार और राज्य का ही नहीं, बल्कि पूरे देश का नाम रोशन कर रहे हैं।
वह अब तक 50 से अधिक शतरंज प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुके हैं और उनमें से अधिकांश में उन्होंने अवार्ड्स और मेडल्स जीते हैं। उनकी खासियत यह है कि उन्हें न केवल शतरंज के खेल में तेज़ी से निर्णय लेने की क्षमता है, बल्कि उनका ध्यान और मानसिक क्षमता भी बहुत मजबूत है।
एक सामान्य बच्चा, लेकिन असाधारण प्रतिभा
हल्द्वानी के दीक्षांत इंटरनेशनल स्कूल में कक्षा 1 के छात्र तेजस तिवारी को देखकर यह कहा जा सकता है कि वह एक सामान्य बच्चा हैं, लेकिन उनकी प्रतिभा असाधारण है। वह अपनी उम्र के बच्चों के साथ खेलने, पढ़ाई करने और खेलकूद में भी सक्रिय रहते हैं, लेकिन जब बात शतरंज की होती है तो वह बिल्कुल एक पेशेवर खिलाड़ी की तरह खेलते हैं। उनके माता-पिता का कहना है कि तेजस में कड़ी मेहनत करने की आदत और आत्मविश्वास है, जो उसे किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार करता है।
तेजस को शतरंज की बारीकियां सिखाने वाले उनके पिता उनकी मानसिक दृढ़ता और रणनीतिक सोच की तारीफ करते हैं । उनके अनुसार, तेजस का शतरंज के प्रति दृष्टिकोण बहुत विश्लेषणात्मक है, और वह खेल के हर पहलू को गंभीरता से समझते हैं।
बच्चों के लिए प्रेरणा
तेजस तिवारी की सफलता हर बच्चे के लिए एक प्रेरणा है। वह यह साबित करते हैं कि उम्र सिर्फ एक संख्या है और अगर किसी बच्चे में लगन, मेहनत और सही मार्गदर्शन हो, तो वह कोई भी लक्ष्य हासिल कर सकता है। शतरंज जैसे खेल में, जहां धैर्य और मानसिक क्षमता की जरूरत होती है, तेजस ने यह दिखा दिया है कि छोटे बच्चे भी किसी भी खेल में महारत हासिल कर सकते हैं।
समर्पण और भविष्य की योजना
हालांकि तेजस अभी केवल सात साल के हैं, लेकिन उनके भीतर अपनी शतरंज यात्रा को और ऊंचाईयों तक ले जाने का समर्पण है। उनका अगला लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शतरंज में नाम कमाना है। वे दुनिया भर के खिलाड़ियों के खिलाफ खेलना चाहते हैं और एक दिन अपनी क्षमता के दम पर भारत का नाम अंतरराष्ट्रीय मंच पर रोशन करना चाहते हैं।
निष्कर्ष
बाल दिवस के इस अवसर पर तेजस तिवारी जैसे अद्वितीय और प्रेरणादायक बच्चों को सम्मानित करना न केवल हमारी जिम्मेदारी है, बल्कि यह हमें यह समझने का अवसर भी देता है कि बच्चों में अद्वितीय प्रतिभाएँ होती हैं, जिन्हें अगर सही दिशा और अवसर मिले तो वे असाधारण उपलब्धियाँ हासिल कर सकते हैं। तेजस जैसे बच्चों के प्रयास यह साबित करते हैं कि सफलता उम्र का मोहताज नहीं होती, बल्कि यह केवल मेहनत, समर्पण और सही मार्गदर्शन पर निर्भर करती है।
बाल दिवस पर तेजस तिवारी को उनके उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएँ और हम उम्मीद करते हैं कि वह शतरंज की दुनिया में और भी नई ऊंचाइयाँ छुएंगे।