हल्द्वानी। उत्तराखण्ड कार्मिक एकता मंच ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के उस वक्तव्य पर गहरी हैरानी व्यक्त की है जिसमें उनके द्वारा कहा गया कि राज्य आन्दोलनकारियों के सपनों का उत्तराखण्ड बनाना सरकार का लक्ष्य है। शहीदों के सपनों को साकार करने के मूल उद्देश्य से गठित उत्तराखण्ड कार्मिक एकता मंच के संस्थापक संयोजक रमेश चन्द्र पाण्डे ने कहा कि 25 अगस्त 24 के विभिन्न समाचार पत्रों में ” राज्य आन्दोलनकारियों के सपनों का उत्तराखण्ड बनाना हमारा लक्ष्य: सीएम ” शीर्षक से प्रकाशित समाचार को पढ़कर उन्हें गौर आश्चर्य हुआ है।
गौरतलब है कि 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण दिये जाने पर मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करने पहुंचे राज्य आन्दोलनकारी मंच के पदाधिकारियों से यह बात मुख्यमंत्री ने मुख्य सेवक सदन में कही थी ।
उन्होंने कहा कि आज तक हर किसी के स्तर से शहीदों के सपनों का उत्तराखण्ड बनाने की बात की जाती रही है। लेकिन राज्य गठन के इतने साल बाद पहली बार सरकार का यह लक्ष्य जानकर आश्चर्य होना स्वाभाविक ही है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य प्राप्ति के आन्दोलन में समूचे कार्मिक समुदाय ने अपनी कुर्सी को दांव में लगाकर 94 दिन तक लगातार सड़क मे संघर्ष किया था। और मुझ जैसा अदना सा सरकारी नौकर तो इस संघर्ष के साथ ही मुजफ्फरनगर जैसे बर्बरतापूर्ण काण्ड में मौत से भी रुबरु हुआ था। उस संघर्ष की स्मृति के चलते सरकार के इस लक्ष्य पर आश्चर्य के साथ ही गौर आपत्ति व्यक्त करने से स्वंय को रोक नहीं पा रहा हूं। जवाबदेही के सवाल को लेकर मुखर पाण्डे ने दावे के साथ बताया कि “आवाज दो हम एक हैं” के जिस नारे की ताकत के बल पर हमने उत्तराखण्ड राज्य हासिल किया है। यही नाराअमर शहीदों का मूल सपना है और राज्य की मूल अवधारणा “रोजगार “और रोजगार में “समान अवसर” दिया जाना रही है। उन्होंने आगे कहा कि राज्य में आर्टिकल 16 की धज्जियां उड़ाते हुए अपनाई जाती रही पीक एण्ड चूज की नीति के खिलाफ जवाबदेही के लिए शहीदों के मूल सपने के रुप में “आवाज दो हम एक हैं” के नारे को धरातल पर साकार करने का संकल्प लेने की जरुरत है।