उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने रुड़की स्थित सिंचाई शोध संस्थान के 100 से अधिक आवासीय भवनों को गैर निवर्तमान घर से सम्पन्न व्यक्तियों, पूर्व विधायकों, मेयरों और कई राष्ट्रीय पार्टियों के मंडल प्रभारियों को किराए पर बाजार मूल्य से न्यूनतम दर पर दिए जाने के मामले में सुनवाई की।
मामले की सुनवाई करने के बाद न्यायालय ने कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य सरकार से 18 जून तक स्थिति स्पष्ट करने को कहा। न्यायालय ने राज्य सरकार से यह भी बताने को कहा है कि यह आवंटन किस नीति के तहत हुए हैं और यदि यह नीतिगत निर्णय के विरुद्ध हैं तो मकानों का नियमविरुद्ध आवंटन करने वाले अधिकारीयों के खिलाफ राज्य सरकार तत्काल अनुशासनात्मक कार्यवाही कर 18 जून तक अपनी रिपोर्ट पेश करें ।
मामले के अनुसार विधि के छात्र रितिक निषाद ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा कि सचिव सिंचाई, अधिशासी अधिकारी सिंचाई शोध संस्थान रुड़की व सचिव हाउसिंग अलॉटमेंट कमेटी और सिंचाई शोध संस्थान रुड़की ने 2004 से 2021-22 तक गैर सरकारी व्यक्तियों, जनप्रतिनिधियों, पुलिस अधिकारियों, कर्मचारियों, प्रशासनिक अधिकारियों, अधिवक्ताओं,एल.आई.सी. कर्मियों, राजस्व, वन, व्यापार कर कर्मचारियों आदि को मकानों के आवंटन किए।
जिसमें हरिद्वार जिले के कई विधायकों जिनमें मदन कौशिक, प्रणव सिंह चैम्पियन, कुंवर दिव्य प्रताप सिंह चैम्पियन, प्रदीप बत्रा, फुरकान अहमद, सरबत करीम अंसारी, अमरीश कुमार, फिरदौश, ब्रह्म दत्त त्यागी, पुलिस अधिकारी मंजूनाथ, संयुक्त सचिव ऊर्जा दिल्ली विनोद कुमार मित्तल, पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष हरिद्वार मीनाक्षी, अधिवक्ता अरविंद गौतम, श्यामबीर, आशीष सैनी जैसे कई नाम प्रमुख हैं। इनमें से कई लोगों ने आवास किराया भी जमा नहीं किया है ।
जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायधीश रितू बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार के अधिवक्ता से शपथ पत्र दाखिल कर यह बताने को कहा कि इन लोगों को किस नीति के तहत मकान आवंटित किये हैं। मामले की अगली सुनवाई 18 जून को होगी ।