उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी दंगे के आरोपियों की बेल मामले में सुनवाई पूरी कर निर्णय को सुरक्षित रख लिया है।
वरिष्ठ न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की युगलपीठ में शुक्रवार और शनिवार को हल्द्वानी के वनभूलपुरा दंगे से जुड़े लगभग 55 आरोपियों की बेल के विषय में सुनवाई हुई।
याचिकाकर्ताओं ने शेसन कोर्ट के आदेश को चुनौती दी। उनकी तरफ से कहा गया कि पुलिस ने उनके खिलाफ 90 दिन के अंदर आरोपपत्र दाखिल नहीं किया और न ही रिमांड बढ़ाने के लिये कोई स्पष्ट कारण बताया। न्यायालय ने उनकी रिमांड बढ़ा दी और उनकी डिफाल्ट बेल खारिज कर दी।
वरिष्ठ न्यायाधीश मंनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने 55 लोगों की डिफॉल्ट बेल संबंधी याचिका को सुरक्षित रख दिया है। उनके अधिवक्ता ने न्यायालय से कहा है कि सर्विस शस्त्र और अवैध शस्त्र बरामदगी के 45 दिनों के बाद एफ.एस.एल.लैब को भेजे गए, जो गलत है।न्याय में फ्रॉड किया गया है। तीन माह में 8 ऑफिसियल जबकि 3 पब्लिक गवाह रिकॉर्ड में लाए गए। गिरफ्तारी और रिमांड को लेकर कई बार अनियमितताएं की गई।
दूसरी ओर सरकारी पक्ष की ओर से कहा गया कि पुलिस के पास पर्याप्त आधार और कारण हैं। अदालत के पास रिमांड बढ़ाने का अधिकार है। नियमानुसार ही आरोपियों की रिमांड बढ़ाई गयी है। मामले को सुनने के बाद न्यायालय ने अपना निर्णय रिजर्व कर लिया है।