कुमाऊंनी संस्कृति का प्रतीक हरेला पर्व का आयोजन, पर्यावरण और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम

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हल्द्वानी। हरेला पर्व, जो कुमाऊं की परंपरागत संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, का आयोजन आज मेले के माध्यम से बड़ी धूमधाम से किया गया। इस अवसर पर पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच के संरक्षक हुकुम सिंह कुंवर ने मेले का विधिवत उद्घाटन करते हुए कहा कि हरेला आदिकाल से अध्यात्म और पर्यावरण का संगम रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि यह त्यौहार जहां पर्यावरण का संदेश देता है, वहीं सावन के महीने में होने के कारण आध्यात्मिक रूप से भी जुड़ा हुआ है।

कुंवर ने अपने वक्तव्य में बताया कि वर्तमान पीढ़ी अपनी सांस्कृतिक विरासत को भूलती जा रही है, जिसे संजोने और संरक्षित करने के लिए संस्था प्रयासरत है। उन्होंने क्षेत्रवासियों से आग्रह किया कि हरेला पर्व के दौरान सभी अपने घरों में पौधा लगाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश फैलाएं।

इस दौरान अध्यक्ष खड़क सिंह बगड़वाल ने सभी उपस्थित लोगों को हरेला पर्व की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह पर्व हमारे पूर्वजों की पर्यावरणीय चेतना का प्रतीक है, जो हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। इससे पूर्व, गोल्ज्यू मंदिर में कुमाऊं के इष्टदेव गोल्ज्यू देव की पूर्ण विधि विधान के साथ पूजा की गई, जिसमें मंच के संरक्षक हुकुम सिंह कुंवर, बीना कुंवर और अध्यक्ष खड़क सिंह बगड़वाल ने पूजा अर्चना कर मेले के सफल आयोजन के लिए आशीर्वाद लिया।

इस पूजा समारोह में उत्थान मंच के उपाध्यक्ष गोपाल सिंह बिष्ट, सचिव देवेंद्र तोलिया, कोषाध्यक्ष त्रिलोक बनौली, शोभा बिष्ट, विमला संगुड़ी, धरम सिंह बिष्ट, नीरज बगड़वाल, जे ललित प्रसाद, चंद्रशेखर परगई, हेम भट्ट, संदीप भैसोड़ा, भुवन चंद्र तिवारी, बीडी पाठक, कमल किशोर, बृजमोहन सिंह बिष्ट, भुवन जोशी सहित सांस्कृतिक संयोजक तरुण नेगी उपस्थित रहे । कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. प्रदीप उपाध्याय ने किया।

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