जैन मंदिर में आठवें दिन भी भगवान के मस्तक पर शांति धारा की गई

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हल्द्वानी। श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में विगत 7 दिन से चल रहे पर्युषण पर्व के पावन अवसर पर आठवे दिवस उत्तम त्याग के दिन मंदिर में प्रातः देवाधिदेव श्री 1008 आदिनाथ भगवान के मस्तक पर अभिषेक और शांतिधारा की गई सांगानेर जयपुर से पधारे विद्वत कुशाल जैन शास्त्री ने सायं कालीन प्रवचन में बताया कि आज उत्तम त्याग के दिन हमें अपने पास मौजुद पसंदीदा वस्तु का त्याग करना चाहिए। क्योंकि हमारी प्रकृति हमें त्याग करने की प्रेरणा देती है क्योकी जैन दर्शन कहता है त्याग किये बिना कोई भी जीव महान नहीं बनता हमारे तीर्थंकरों ने सभी सुख सुविधाओं का त्याग किया। और परम सिद्धत्व पद को प्राप्त किया भैया जी ने बताया दान 4 प्रकार के होते है। सर्वश्रेष्ट दान ज्ञान दान है।

और वर्तमान समय में ज्ञान दान का सर्वोत्तम प्रयोग श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान मैं होता है जहाँ से हजारो विद्वान तैयार होकर माँ जिनवाणी कि अमूल्य निधियों की धर्म प्रभावना करते हैं। प्रवचन के पश्चात मंदिर जी में भक्तामर और अंक विद्या की कक्षा का आयोजन किया गया। जिस्मे लोगो ने भाग लेकर धर्म लाभ प्राप्त किया इस अवसर पर समाज के श्रावक और श्राविकागण उपस्तिथ थे।

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