उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने देहरादून के डोईवाला क्षेत्र की सुशुवा व एक अन्य नदी में भारी मशीनों से खनन की अनुमति दिए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका में खनन के लिए भारी मशीनों पर रोक लगाते हुए इसे मैन्यूली करने को कहा है। खण्डपीठ ने राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद के लिए तय की है।
देहरादून निवासी वीरेंद्र कुमार ने जनहीत याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार ने देहरादून के डोईवाला क्षेत्र में बहने वाली सुशुवा व एक अन्य नदी में खनन कार्य करने के लिए भारी मशीनों को इस्तेमाल कराने की अनुमती दी है। इससे नदी का जलस्तर निचे बैठ गया है जिससे उनकी कृषि योग्य भूमि भी प्रभावित हो रही है।
उनको सिंचाई के लिए पानी तक नहीं मिल पा रहा है। यही नहीं, भारी मशीनों से खनन कार्य करने के कारण स्थानीय लोग बेरोजगार हो गए हैं। पहले उनको नदी में खनन करने से रोजगार मिल जाता था। उन्होंने याचिका में भारी मशीनों से खनन कार्य रोकने की प्रार्थना की है। उनकी कृषि योग्य भूमि को बचाया जाय और खनन में मशीनों की जगह स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जाए।
राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि बरसात के दौरान नदी में भारी मात्रा में शिल्ट, गाद, बड़े बोल्डर व अन्य आ जाते हैं, जिसकी वजह से नदी का रास्ता अवरुद्ध होकर अन्य जगह बहने लगता है। इसको हटाने के लिए मैनपावर की जगह मशीनों की जरूरत पड़ती है। इसलिए सरकार ने जनहित को देखते हुए मशीनों का उपयोग करने की अनुमति दी । ताकि नदी अपनी अविरल धारा में बहे।